Thursday, May 28, 2009
jai ho
२२ फरवरी की शाम हर भारतीय की आँखों में ख़ुशी की झलक थी हर कोई ऐ आर रहमान की जीत को अपनी जीत मन कर झूम रहा था खुशी हम सभी को थी खास कर इसलिए भी कि रहमान के संगीत को दुनिया भर में उतना ही पसंद किया गया जितना कि भारत में. अमेरिका में भी स्लम डॉग फ़िल्म के संगीत और गानों को बेहद सराहा गया. हिन्दी न समझने वाले लोगों में भी जय हो गाना उतना ही लोकप्रिय हो गया है जितना कि हिन्दी समझने वालों में. इससे पहले टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं। रहमान का ऑस्कर जीतना सही मायने में ऐतिहासिक है क्यों कि पिछले कुछ सालों में लगान जैसी फ़िल्म अन्तिम दौर तक पहुंच कर भी ऑस्कर जीतने में नाकामयाब नहीं रही थी. रहमान के पहले कौस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथाय्या को गाँधी फ़िल्म के लिए ऑस्कर पुरस्कार मिला था तो महान निर्देशक सत्यजीत राय को लाइफ टाइम ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया था. लेकिन अब जब बॉलीवुड और हॉलीवुड के करीब आने की बात हो रही है तो रहमान को फ़िल्म जगत के सबसे बड़े पुरस्कार से नवाजा जाना हम सभी के लिए खुशी की बात है. कुछ जानकारों ने स्लम डॉग के सही मायने में भारतीय फ़िल्म न होने की आलोचना की है, तो कुछ समझते है कि बॉलीवुड को और कहीं पुरस्कार पाने की जरूरत नही है. लेकिन कोई चाहे कुछ भी कहे एक बात तो तय है कि रहमान ने अमेरिका ही नही पूरे विश्व में भारत का नाम और ऊंचा कर दिया है. आम तौर पर बॉलीवुड संगीत से दूर रहने वाले अमेरिकी भी इन दिनों जय हो की धुन गुनगुना रहें
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